अंक- १०५८ Page-३

भारत रत्न स्व0 लाल बहादुर शास्त्री जी का 47 वीं पुनि तिथि –

स्व0 लाल बहादुर शास्त्री एक कृषक परिवार मे जन्मे थे। वे बहुत ही सात्विक एवं सरल स्वभाव के थे। वे गरीब किसान परिवार के थे। लेकिन वे शिक्षण के लिए बहुत ही कष्टमय जीवन व्यतित किए। वे कभी भी हिम्मत नहीं हरे और आज वे गुदड़ी के लाल के रूप मे भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री बने। उस देश की स्थिति बहुत ही भयावह थी, कारण वह  जब प्रधानमंत्री बने तो 65 सन की युद्ध चल रही थी। व बहुत ही हिम्मत और सरल तरीके से अपने भारत देश की लाज पर आंच नहीं आने दिये थे। वे खुद भी बहुत ही मेहनती और कर्मठ थे। वे अपने देश के मजदूरों एवं किसानों के लिए एक वरदान साबित हुये । उदाहरण स्वरूप जो उनका वरदान के रूप मे प्रचलित पंक्ति “ जय जवान , जय किसान “का नारा उन्हीं की दें है। उन्हीं के एक कविता नीचे प्रस्तुत कर रहा हूँ।

जब पैंसठ सन की हुई चढ़ाई , का बदला खूब निकाल था।

भारत माँ का लाल बहादुर, कैसा वीर निराला था।

नन्हाँ सा जब बालक था वह, कर्मवीर और आला था।

भारत माँ का लाल दुलारा, दीन हिन का प्यारा था।

शिक्षित कुल मे जन्म लिया था, था विद्या से प्यार उसे।

साहस – शक्ति और हर्ष का , मुंख पर तेज उजाला था।

बागडोर जब लिया देश का , कितना सुंदर शासन था।

देश भक्ति और देश प्रेम का , अनुपम पाठ पढ़ाया था।

देश के बच्चे – बच्चे जागे, जब राष्ट्र पर संकट छाया था।

लाल बतन का मन बिन्दु था , देश भक्त मतवाला था।

समझोटे की बात पड़ी तो, सबसे आगे आया था ।

काल चक्र जब आया उनपर , जागा देश न सोया था।

ताशकंद जब चले यहाँ से , जन- जन को सिर नवाया था ।

भारत की मर्याद हेतु , अपना कदम बढ़ाया था ।