अब वे बेचारे के जिन्दगी मं अंधेरा सा छा गया है। सरकार गरीब जनता से क्या चाहती है? आखिर सुखवाली जिन्दगी गरीब का ना देकर उन्हें और नीचे की ओर धकेल रही है। जब उन्हें वहाँ से हटाने का निर्णय लेना ही था तो इस गरीब परिवार के विषय में पहले कुछ-ना-कुछ इंतजाम कर देना था, लेकिन ऐसा न हो कर उन्हें सिर्फ हटाने का कार्यक्रम हो रहा है। मना की शराब पीकर वहाँ सड़क पर अक्सर बदमजी करते नजर आते थे। इसका यह मतलब थोड़े ही सकते है कि इसके बदले गरीब के पेट पर लात मार दिया जाए। जब ऐसा करने का रखना ही था तो पहले हमेषा के लिए गरीब के प्रति ठेला लगाने का भी व्यवस्था कहीं न कहीं कर देनी चाहिए थी, ताकि वह अपने अगर सरकार गम्भीरता न लिया तो वह दिन दूर कि विकास की गति में बाधा पहुँचे क्यों बचाने के लिए कुछ-न-कुछ उपाय जरूर सोचे अब यह मालूम किसी को नहीं है कि वह उपाय सच की होगी या फिर बेमानी की राह। क्योंकि सच की राह पर यह चलकर सामना कर चुके हैं। इसलिए जल्द ही इसका उपाय कर देना चाहिए।
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– Posted on May 19, 2015Posted in: Edotiral