दीन दलित के पूर्व सम्पादक के परिवार के साथ भी यही हुआ। पूर्व सम्पादक ने अपने तन-मन-धन से जनता एवं प्रषासन का सेवा किया, बदले में सरकार ने उन्हें सारे सरकारी परियोजना से कोसों दूर रखा, यहाँ तक कि आज तक उस परिवार को एक राषन कार्ड की नसीब नहीं है। और नहीं उस परिवार के कोई भी सदस्य का नाम बी.पी.एल. सूची नाम दाखिल हो पाया है। उस परिवार के घर में न ही एक बिजली का बल्ब कही नजर आते हैं। हाँ सरकार ने यह कार्य अवष्य किया है, पूर्व सम्पादक के अगल-बगल, जमीन जायदाद वाले परिवार को दो-दो राषन, कार्ड (एक वार्ड में एक पंचायत के अन्तर्गत में) उपलब्ध कराये हैं, जबकि उस परिवार को इसकी आवष्यकता भी नहीं है, फिर भी उन्हें उनका लाभ सरकार देने में पीछे नहीं है। एक सच्चाई एवं बापू की राह में चलने वाले परिवार को सरकार ने कड़ी सजा दे रखी है। उन्होंने ईमानदारी और सच्चाई के राह में चलते-चलते अपने प्राण त्याग दिये। पूर्व सम्पादक के पत्नी को न आज तक वृद्धा पेंषन मिल पाये हैं। सरकार सिर्फ विकास की पहिया जोड़ रहे हैं, उन्हें प्रवाह नही है कि भ्रष्ट सिस्टम के वजह से आज तक इस तरह का कितने परिवार को इस मुसीबत का सामना करना पड़ रहा है। इसका अंदाजा शायद नहीं लगाया जा सकता है। लोग प्रखण्ड विकास पदाधिकारियों से वात्र्तालाप करते-करते हार चुके है, लेकिन फिर भी भ्रष्ट सिस्टम का जंग ज्यों का त्यों है। इसका उपाय जल्द ही करने का निर्णय सरकार को लेना चाहिए ताकि सबके सब विकास से जुड़ सके।
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– Posted on April 29, 2015Posted in: पिछला संस्करण