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मकर संक्रांति पर विशेष

आज दिनांक 14.01.13 बहुत ही महत्वपूर्ण दिवस यानि मकर संक्रांति के रूप मे मनाई जाती है। मान्यता है की सभी लोगों को इस दिन, नदी के जल मे ही स्नान कर विष्णु भगवान का नाम लेते हुये तिल तथा अरवा चावल को द्रव्य के साथ छुवा जाता है और उसे ब्राह्मण को दान स्वरूप दान कर दिया जाता है ।जिससे मनुष्यों के ग्रहों का नाश होता है। तथा शांति मिलती है। स्नान धमन के बाद ही सभी लोग भोजन ग्रहण करना चाहिए। आज ही के दिन इलाहाबाद मे कुम्भ स्नान करने का एक बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है। वहाँ पर नागावों ऋषियों द्वारा शाही स्नान होता है। जिसे देखने हर जगहों से लोगों का जमवाड़ा लाखों की संख्या मे इकट्ठे होते हैं। यहाँ मेले जैसे स्थिति होती है। यहाँ कुम्भ स्नान बारह वर्षों मे और छ; वर्षों मे होती है। वहाँ स्नान करने मे जो शाही स्नान है, उसे ही लोग बड़े ही उत्साह पूर्वक देखते हैं। नागावों ऋषियों की अपनी- अपनी झुंड होती है , वह देखते ही शरीर सिकुड़ उठती है। कारण जिसका प्रथम स्थान शाही स्नान करने का व्ही पहले डुबकी लगाएंगे , डुबकीलगाने का मतलब यह नहीं होता है, कि दो चार डुबकी लगाना है , हजारों – हजार डुबकी लगाने कि राजशाही जिद्दी जैसी होती है। जब पहले नंबर वाले ऋषियों की मंडली खूब अच्छी तरह स्नान करके उठेगी तभी दूसरी मंडली स्नान करने उतार पाएगी। इसी शाही स्नान करने के वक्त कभी-कभी बहुत ही खतरनाक रुख उत्पन्न हो जाती है, लेकिन दिनों – दिन सुरक्षा के ढेर सारे प्रसाशनिक प्रबंध होती है। जिसके चलते अब उस तरह की स्थिति उत्पन्न ही नहीं होने दिया जाता है। जब स्त्थिती बेकाबू होने बाली होती है,तुरंत प्रसाशनिक मुस्तैद के कारण उसे काबू मे करने तरीका अपनाकर संभाल लिया जाता है। अखाड़ों का नाम होता है ,और उसी के आधार पर वे लोग अपनी –अपनी मंडली के साथ कुम्भ स्नान के लिए उतरते हैं। जैसे पहले अखाड़े के रूप मे महानिर्वाणी और अटल अखाड़े को वहाँ सबसे पहले स्नान करने की अनिमाती दी जाती है। तब निरंजनी और आनंद अखाड़े को स्नान करने की अनुमति मिलती ,तब जूना व आहवन और पाँच अग्नि अखाड़े को अनुमति मिलती है। बाद मे बैरागी अखाड़े को अनुमति दी जाती है। तब लोग सामान्य लोग स्नान करते हैं।