अंक- १०५६ Page-३

28-28 महीनों के सत्ता सम्भाॅलने के चक्क्र में जनता परेषान ।

लेकिन 2012  भी खत्म हो गया और आगया हैपी नीव इयर 2013 अब जनता इस वर्श भी देखना चाह रही है, कि इस वर्श भी राषन कार्ड मिलेगा या भगवान ही जाने। इस सत्ता सम्भालने के साथ प्रत्येक विभागों का कार्य भी किस अधोगति रूप में चल रहीर है। उसे देखना भी सरकार का ही कार्य है। यदि सरकार से जनता को परेषानी होगी, तो यह परेसानी जनता के लिए नहीं ब्लकी सरकार के लिए भी हो सकती है। उधर मजदूरों को दिखाने के लिए मजदूरों की मजदमरी को डेढ गुणा बढा दिया जाता है, और जब मजदूर क्षणभंगुर मजदूरी को देखकर खुष होने लगते हैं , तो डीजल की कीमत बढा दी जाती है। बस देखिए तरीका मजदूरी बढाने का । इधर मजदूरी बढा दी गई, और डीजल के दामों में वृद्धि करके उस बढी हुई मजदूरी को छीन ली जाती है। यह तो वही बात हुई, जब निवाला मुॅंह में डालने के लिए हाथ उठती है, उसके पहले ही उसे छीन लिया जात है। वा रे साकार की तिगडमबाजी नीति। अब जनता उतनी ही बेवकूफ नहीं जितनी सरकार उसे समझ रही है। जनता तो बहुत ही बडी षक्ति है, मतलब ज से जटाधारी, ‘‘ साक्षात भोले षंकर’’ न से नचाने वाली ( नाच में तांडव नृत्य इहुत ही बिख्यात है) ता से ताकत ( षक्ति) । जनता चाहे तो षिव जी का अवतार लेकर ताण्डव नृत्य तक करवाने की षक्ति रखती है। खैर सरकार का ज्यादा ध्यान जनता के हितों में लगना ही श्रेश्ठकर होगी।