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लेकिन रविशंकर के कलम से निकलने वाली भूचाल को प्रशासन संभाल भी पाए या या पूरा प्रशासन ही अपंग हो जाए, यह तो मेरी कलम की शब्द ही बताएगी। मैं आज उपायुक्त महोदय से निवेदन करना चाह रहा हूॅं, कि एक उपायूक्त महोदय के आदेश की अवहेलना एक बुढे विश्व विख्यात संपादक की अपमान करना वो भी प्रखण्ड विकास पदाधिकारी द्वारा यह किसी भी प्रकार से क्षमा योग्य नहीं है। मैं वर्तमान उपायुक्त महोदय से यथा शीघ्र जॉंच करते हुए श्री रजक जी का टोटल भुगतान करवाने की कृपा करें, ताकि इतने कर्मठ संपादक श्री गौरी शंकर रजक जी जिसने अपनी पूरी जवानी को ही भ्रष्टा्चार और आतंकवाद की लडार्इ लडते- लडते जनता की भलार्इ में न्यौवछार कर दिए। आज उनकी यह हालत बहुत ही अशोभनीय है, यदि उनका भुगतान उनके मौत से पहले उन्हें मिल जाए तो उनकी जीने की इच्छा भी जग जाए और पूरे प्रशासन पर से उनका विश्वास भी ज्यों का त्यों बना रहे। इस शुभ कार्य को यदि श्री मान हर्ष मंगला जी के हाथों हो जाए तो उनकी अति कृपा होगी।