अंक- १०४७ Page-१

संगठन एवं सदर संवाददाता द्वारा-दिनाक-०४.१०.१२ दिन गुरुवार को एकदम सुबह (जब पौ फट रहा होता है) लोग जब एकदम से घोर निंद्रा में डूबे हुए होते है, अचानक मेरे दिन-दलित (साप्ताहिक-पत्र) के संपादक महोदय के ग्राम गिघनी पहाड़ी वाले घर में भयानक आग की लपटें जब उठनी शुरू हुई और उसकी गर्मी से जब श्री गौरी शंकर रजक जी की आँखे खुली तो वे अचानक आग की उठती लपटों में कुछ मिनटों के लिए उन्हे काठ की पुतली जैसा कर दिया, अचानक जब होश में हुए तो वे आग लग गया-आग लग गया चिल्लाना शुरू कर दिए|