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राष्ट्.पिता बापू जी की एवं दिन दलित की जयंती

गॉंधी जयंती एवं दीन-दलित जयंति के उपलप्क्ष पर देश की सारी जनताओं के समक्ष संपादक श्री गौरी शंकर रजक की ओर से विशेष उपहार समर्पित।
आज दिनांक 02 अक्टुबर के दिन गॉंधी जी का जन्म एवं दीन दलित (हस्त लिखित) पत्रिका का प्रथम संस्करण 1986 में हुर्इ थी। उस समय पत्रिका का नाम आन्दोलन था। जो आज दीन दलित साप्ताहिक पत्रिका के नाम से प्रचलित है, तथा इन्टरनेट www.deendalit.in में भी दिखाया जा रहा है। 2 अक्टुबर के दिन गॉंधी जी का जन्म हुआ था. और वे अहिंसावादी जननायक थे. उन्हीं के द्वारा रचित ‘‘ जय हिन्द ‘‘ का नारा विश्व प्रसिद्ध है। भारत के सारे जनताओं को उनके इस ‘‘ जय हिन्द ‘‘ के नारे से बडी हिम्मत मिलती है, और देश के सारे जनताओं को अहिंसा परमो धर्म के ज्ञान की शक्ति मिलति है। यह एक ऐसी ताकत है, बिना युद्ध किए किसी भी वस्तु को हासिल की जा सकती है। इन्हीं के द्वारा जनताओं को बापू जी की भार्इचारे (हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसार्इ) गीत का प्रस्तुत कर रहा हू-
रघुपति राघव राजा राम, पतितपावन सीता राम।
र्इश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सनमति दे भगवान।।
गॉंधी जी ने कहा, सत्य ही महान है, महान ही र्इश्वर है, एवं शांति से बडी कोर्इ भी अस्त्र नहीं। आज उन्हीं के अहिंसावादी नीति से हमारा देश भारत स्वतंत्र हुआ और अंग्रेज भारत छोडकर भाग गए।
एक और कविता की प्रस्तुती-
यह गॉंधी का चमन हमारा, वीर जवाहर की धरती।
लाल बहादूर प्यारा है, सारा देश स्वतंत्र हमारा है।
गुजरात में बापू जन्मे, कैसा यह देश न्यारा है।
जब गोली तीन लगी थी, ना समझी जिसने मारा है।
तब हहाकार मची थी, रोते थे सब हिन्दुस्तानी।
आज वतन में अमर हुए हैं, राष्ट् गगन का तारा है।
यही देश वासियों के लिए, बंदे मातरम का नार है।
आज स्वतंत्र देश में, हिन्दुस्तान हमारा है।