अंक- १०४6 Page-3


इधर अंचल के महान बडा बाबु ने ; जो कि पान खाने में माहिरद्ध संपादक महोदय की सारी प्रमाण.पत्रों की मूल प्रति एवं उपायुक्त द्वारा आदेशित पत्र को रखकर एक सप्ताह में आने की बात कही। गौर तलब हैए कि आज पॉंचवां वर्ष गुजरने वाला हैए न ही आज तक कोर्इ जबाब आया न ही इसे जरूरी समझा गया। यह एक तरह से उपायुक्त महोदय के आदेश की अवहेलनाए एवं संपादक का मान हानि जैसा जघन्य अपराध कर बडा बाबु की बदली भी कर दी गर्इ। इससे साफ जाहिर हैए कि उपायुक्त महोदयए प्रखण्ड विकास पदाधिकारी एवं अंचलाधिकारी के बडा बाबु ने मिलकर संपादक महोदय के अन्नपूर्णा योजना के तहत आदेशित भुगतान का बंदरबांट कर लिया गया है। मैं प्रशासन से पुछना चाहता हुएँ कि मेरे संपादक महोदय प्रखण्ड बिकास पदाधिकारी एवं अंचल कार्यालय दौडते. दौडते इतने ही अस्वस्थ्य तथा दयनिय स्थिति में पहुँच गए हैंए कि कब उनके जिन्दगी की गाडी रूक जाएए उपरवाले के अलावा कोर्इ नहीं जानता। अब सिर्फ उनकी आश ही बची हुर्इ ए कि अब मेरा पैसा का भुगतान हो जाएगा। यह शब्दोउच्चारण करते. करते उनकी मॅुंह में लाले पड चॅुंकी हैं ए तथा पूरे प्रशासन पर से ही उनकी विश्वास उठती जा रही हैए और दिन.दूनी रात चौगुनी वे मौत के दरवाजे तक पहुँचने की नौबत आ गर्इ है। यदि प्रशासन नाम की चीजों में यदि जरा रहम हैए तो मेरे संपादक को अन्नपूर्णा योजना में शामिल करते हुए उनके उपायुक्त द्वारा आदेशित दो लाख रूप्ये का भुगतान प्रखण्ड बिकास पदाधिकारी द्वारा तुरंत करवाया जाए। ताकि संपादक महोदय की प्राण. पखेरू उडने से पहले बचाया जा सके। अन्यथा मजबूरन इसकी खबर राष्ट्पति महोदय एवं गृह मंत्री तक को दिया जाएगा। समय रहते पूरे प्रशासन को सचेत करना चाहता हुएँ कि इस पर गौर तलब करते हुए तुरंत विचार किया जाए।