अंक- १०४6 Page-6

दीन-दलित (साप्ताहिक पत्र) को फिर से मिल गई “नई जवानी” ही अपने पिता के साथ निभाते हुए आज तक उन्होने पुत्र दायित्व का पूर्ण फर्ज़ बखूबी निभाई, जो हमलोगों के दीन-दलित (साप्ताहिक-पत्र) की टीमों के लिए सराहनीय योग्य है|