जब कार्ड बनकर आते हैं। तो किसी कार्डधारियों गलत नाम आता है तो कभी-कभी पता गलत बनकर आता है।यानी कार्डों में कई खराबी (त्राुटि) सामने आते हैं। जो व्यक्ति अपने सारे कार्यों को त्यागकर कार्ड बनावाने में लगे थे, उनका सारा परिश्रम बेकार हो जाता है। ऐसे में आम जनता की परेषानी और बढ़़ जाती है। जिस व्यक्ति के घर में एक ही जन कमाऊ है तो उनके घरों चूल्हा एक दिन का नहीं जल पाता है। अगर इसी कार्य को सही तरीके से किया जाए तो जनता को बार-बार इस चक्कर न लगाने पड़ते और जनता को इतने नुख्खे नहीं उठाने पड़ते। वोटर कार्ड या आधार कार्ड बनाने वाले को षिक्षित व्यक्ति को कुर्सी में बिठाये जाए तो इतने परेषानी का सामना जनता को उठाने से बच सकते हैं। अगर इस कार्य को ऐसे व्यक्ति को दिया जाय जो पढ़ा-लिखा हो और पूरी तरह होष-हवाष में हो। इन कार्डों का निरीक्षण फिर से और सही ढंग किया जाए तो आधे व्यक्ति का वोटर कार्ड व आधार कार्ड गलत साबित हो सकते हैं। वोटर कार्ड व आधार कार्ड बार-बार बनाने का झमेला से दूर किया जा सकता है। अगर इस विषय में सरकार गम्भीरता से लिया जाए तो राज्य की जनता को काफी राहत मिलेगा।
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– Posted on March 10, 2015Posted in: पिछला संस्करण