अंक- ११६४ पेज १

01पनाह :-
पूर्व सम्पादक स्वõ गौरी शंकर रजक जी ने अपने जीवन में भारी कष्टों का सामना किया है अंहिसा की राह पर चलने वाला स्वõ गौरी शंकर रजक ने मरते वक्त भी अपने मुआवजा के दर-दर भटकते रहा, फिर भी उसे किसी ने मुआवजे के लिए सराहाया नहीं। फिर भी उन्होंने जीवन में हार न माननेवाले कई कार्य भी किये। उन्हीं दिनों बात है, जब स्वõ गौरी शंकर रजक जी हाॅल-हाल अस्पताल से उठकर फिर से कलम को थामा उस वक्त भी उन्होंने अपने कलम से चंद दिनों का जिंदा रहने की व्यख्या की थी प्रस्तुत है उन्हीं की लिखी एक छोटी सी चिगांरी सत्य और असत्य