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02आखिर इस तरह से विधेयक पारित होने का गवाह बनने वाले विधान मंडल अपनी प्रतिष्ठा कैसे बनाए रख रकता है? यह मानने के अच्छे-भले कारण है कि जिसे तकनीकी खामी कहकर छिपाया जा रहा है वह संसदीय तौर-तरीकों के संचालन की खामी का नतीजा हो सकता है। वैसे भी यह स्पष्ट है कि संसद की कार्यवाही का सही तरह से चलना दिन-प्रतिदिन दूभर होता जा रहा है। इस कथित तकनीकी खामी पर संदेह जताने के पर्याप्त आधार नजर आते है। केन्द्र सरकार चाहे जैसा दावा क्यों ने करे देष की जनता को यही गया कि उसने संकीर्ण राजनितिक स्वार्थों के फेर में आनन-फानन एक नए राज्य के गठन को मंजूरी प्रदान कर दी गई। यही सही है कि राजनितिक दलों के फैसले किसी न किसी स्तर पर सियासी लाभ को ध्यान में रखकर ही अधिक होते है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि वे मनमाने करने में संकोच न करें। दुर्भाग्य से तेलंगाना के गठन के मामले में सिर्फ और सिर्फ वोटो के समीकरणों का दूरूस्त करने पर ही अधिक ध्यान दिया गया। सकीर्ण राजनितिक स्वार्थ वाले इस तरह के फैसले देष को नुकषान पहूंचाने वाले साबित हो सकते है।