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06आज से षुरू हुआ जनजातिय हिजला मेला
दुमका:- षुक्रवार 07 फरवरी से षुरू हुआ दुमका के सबसे प्राचीन मेला (हिलजा मेला) यह मेला पुरे  एक सप्ताह की होती है। संताल परगना के इस सुविख्यात जनजातिय मेला का इतिहास 124 वर्ष पुराना है। दुमका जिला से 3 (तीन) किलोमीटर की दूरी पर हिजला गांव में मयूराक्षी नदी के किनारे स्थित है। यहाँ लाखो लोग गांव-गांव से तथा दुमका से और दुमका जिले के आस-पास क्षेत्रों से मेला में पहुँचते है। नगरपालिका चैंक से मेला के लिए कई बसे एवं गाडि़याँ लगायी जाती है। यह मेला 7 दिनों में दुमका जिले को खास आर्कषित करती है।

मेला का उद्घाटन करने से  डरते है नेतागण:-
पहले मेला उद्घाटन करने के लिए मुख्यमंत्राी और राज्यपाल षामिल होते थे, कई नेतागणों ने हिजला मेला का उद्घाटन किया था। कुछ वर्षो के पहले से अफवाह फैल गई कि जो नेता जनजातिय हिजला मेरा का उद्घाटन करेंगे उनकी कुर्सी चली जाएगी। नेताओं के अनुसार चलने वाले अधिकारी भी मेला का उद्घाटन से डरते है। इसलिए नेतागण एवं अधिकारी को इस बात से डर लगता है कि कही उनकी कुर्सी हाथ से निकल जाए या कही अन्य जगह पर तबादला हो न जाए।