पारा शिक्षकों का मानदेय:-
एक तरफ विभागीय मंत्राी मानदेय बढ़ाने की घोषणा करती है तो दुसरी तरफ विभागीय कार्यालय फाइल में त्राुटि बताकर योजना विकास विभाग को इसे लौटा दिया जाता है। राज्य गठन के बाद पांच सौ रूपये के मानदेय पद नियुक्त पारा षिक्षको का मानदेय समय-समय पर बढ़ाया जाता रहा है। लेकिन इस बार जिस कदर फाइलो की धुड़दाँड़ जारी है। षायद वैसी कभी नहीं नहीं हुई। ऐसा लगता है कि सरकार मानदेय वृद्धि को लेकर गम्भीर नहीं है, तभी तो जिन पारा षिक्षको के जिम्मे षिक्षा का अधिकार लागू कराने की महती जिम्मेदारी है, वे लगातार आन्दोलनरत है और मानदेय वृद्धि की फाइले दफ्तरो में चक्कर काट रही हैं, हालत यह है कि षिक्षा मंत्राी को भी फाइल मूवमेन्ट के संबंध में अधतन जानकारी नहीं होती है और वह नौकरषाही पर गरज पड़ते है। जबकि फाईल कही और थी। पारा षिक्षको का मानदेय बढ़ाने का मामला सचमुच पेचीदा है। इसे और पेचीदा बना रहा है, झारखण्ड में इस संबंध में स्पष्ट नीति का अभाव। दिलचस्प यह है कि इस पूरे मामले पर सरकार चुप रहती है, इस मसले पर विभागीय मंत्राी व सरकार के बीच एक खाई है।
अंक- ११०६ Page-१
– Posted on January 11, 2014Posted in: पिछला संस्करण