पारा षिक्षकों का मानदेय पांच हजार रूपये प्रतिमाह बढ़ाने की घोषणा कर दी। इससे 480 करोड़ रूपये का आर्थिक बोझ बढ़ेगा सवाल उठता है इतनी रकम की व्यवस्था कैसी होगी? क्या केन्द्र सरकार से मदद मिलेगी? आखिर मंत्राी राजय की आर्थिक स्थिति को ध्यान में रखे बगैर ऐसी कैसी कर सकती है जिन्हे पूरा कर पाना राज्य सरकार के वष में नही है? अगर ऐसा करने के पीछे राजनितिक मंषा छिपी है तो इस उचित नहीं कहा जा सकता है। कैबिनेट ने इस प्रस्ताव पर अब जाकर सैद्धांतिक सहमति जतायी है। बच्चों का भविष्य दांव पर है, दरअसल, मानदेय वृद्धि से किसी को इनकार नहीं है, सही समय पर फैसला लेकर आन्दोलन की नौबत से बच जा सकता था। इधर पारा षिक्षकों का आन्दोलन चरम पर है। पठन-पाठन पर बच्चों पर भी असर पड़ रहा है। अब देखना है कि सरकार कितनी जल्दी फैसला लेती है।
अंक- ११०६ Page-२
– Posted on January 11, 2014Posted in: पिछला संस्करण