अंक- ११०० Page-२

बताते चले कि यहाँ के लोगों का कहना है कि यह काली माँ बहुत सर्वषक्तिषाली है यहाँ जो भी माँगता है उसे मिल जाता है। यहाँ की काली पूजा 30 वर्षो से होते चले आ रहे है। यहाँ एक दुर्भाग्य की बात यह है कि यहाँ अभी तक मंदिर का निर्माण नही हो पाया है, यहाँ के लोग अत्यन्त गरीबी में जी रहा है। यहाँ न तो बिजली की खम्भा नजर आती है और न ही शुद्ध पानी पीने को मिलता है। इसमे मुखिया जी का कहना है कि मंदिर और चबूतरा का निर्माण जल्द ही हो जाएगा लेकिन यहाँ वर्षो बीत गए न ही चबूतरा बना और न ही मंदिर बनी। बिजली की व्यवस्था नही होने के बावजूद यहाँ सभी पूजा-पाठ बैटरी वाला बल्ब से कि जाती है। काली माँ की विसर्जन भी बैटरी वाला बल्ब से सोमवार रात हुई। विसर्जन के बाद दुसरे दिन काली माँ को खिचड़ी का भोग भी लगाया जाता हे। वह भी अंधरे में बिजली नहीं होने के कारण। इसी गाँव में एक वरिष्ठ पत्राकार भी रहा करते थे, स्वõ श्री गौरी षंकर रजकजी यहाँ रहा करते थे जो कि अगले साल तक वह जीवित थे, और इस वर्ष वह अब हमारे बीच नही रहे। यह एक दुर्भाग्य की बात है कि आज भी एक ऐसा गाँव है जहाँ लोग आज भी मिट्टी के तेल जला कर रहते है। सारा गाँव सारा षहर बिजली की रोषनी से जगमगाता है और एक गांव अंधेरे में ही जी रहे है। उनसे कोई पुछता भी नहीं कि आज तक इस गांव में बिजली और शुद्ध जल क्यों नहीं मिल पाता है।