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तीन करोड़ दुनिया में गुलाम, आधे भारत में:-
कोलकाता कि सन्र्माग अखबार के अनुसार पुरी दुनिया में तकरीबन लोग 3 करोड़ गुलामी की जंजीर में अब भी जी रहे है। इनमें से तकरीबन भारत में हैं। दुनिया में अभी भी मानव तस्करी रूकने का नाम नहीं ले रहा है। मानव तस्करी के षिकार हुए तकरीबन सभी लोगों का दास यू कहे कि गुलाम का जीवन जीना पड़ता है। मानव अधिकारों के लिए काम करने वाले आस्टेªेलिया के एक समूह वाक फ्री के अनुसार 3 करोड़ में से तकरीबन आधे गुलाम केवल भारत में हैं। इनमें ज्यादातर बंधुआ मजदूर और सेक्स वर्कर का जीवन जी रहे हैं। हांलाकि अंतरराष्ट्रीय मजदूर संगठन के अनुसार दुनिया में अभी सिर्फ 1 करोड़ लोग ही दास है। जैसे कि खासकर पष्चिम अफ्रीका और दक्षिण एषिया के आज भी काफी संख्या में लोग परपंरागत रूप से दासता का षिकार बन रहे है। वैसे लोगों की संख्या कम नहीं है। जिनका पहले अपहरण किया जाता है और बाद में गुलाम का जीवन जीने के लिए मजबूर किया जाता है। कई लोगों को नौकरी का झासा देकर गुलामी की जंजीर में जकड़े जाते है। और कई को शादी के बाद दास बना दिया जाता है। द ग्लोबल स्लेवरी इंडिक्स 2013 के अनुसार दासता का मतलब किसी ईसान की स्वंतत्रा छीन लेना और उसका इस्तेमाल किसी लाभ और उसका इस्तेमाल किसी लाभ या शारीरिक शोषण के लिए प्रताड़ना भी शामिल होती हैै। इसमें जबरदस्ती की शादी, अपहरण और बच्चों का युद्ध में शामिल के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इंडेक्स के अनुसार इन गुलामों में तकरीबन तीन चैथाई दुनिया के सिर्फ 10 देषों में रहते है। भारत के बाद चीन में है, वही पाकिस्तान का स्थान तीसरा है। चीन में गुलामों की संख्या तकरीबन 29 लाख है। जबकि पाकिस्तान में यह संख्या 21 लाख है। नाइजीरिया में तकरीबन 7 लाख है। इथोपिया में 6.5 लाख रूस में 5.16 लाख लोग दासता का जीवन जी रहे है। दासों की सबसे खराब हालत अफ्रिका के मौरितानिया में है। यंहा दासों का परंपरागत रूप से बेच दिया जाता है। या मौरितानिया में तोहफे के रूप में दिया जाता है। कई बार इन्हें रेन्ट पर भी दिया जाता है। और इन लोगों के अपने-अपने कामों लगा दिया हैै। यह लोग भारत में आज भी गुलामी की जंजीर जकड़े हुए है, इन्हें भारत आजादी की कोई भी आजादी की जिन्दगी जीने नहीं दिया जाता है। इन्हें बंधुआ मजदुर या दास बनाकर रख दिया जाता हैै।