भ्रास्ट्रचार की उपज

संवाददाता- रवि शंकर गुप्ता (कविता)

मेरे देश के कुछ नेता है, भ्रष्टाचार और महंगाई की जड़.
जनता तो दिखावे के लिए, उनकी शारीर की एक धड.
अब देखिये नेतायों की, खता वही हर जगह दिखेगी गलती ही सही.
जब बढ़ती है मज्दोरों की दैनिक वेतन, वे हों जाते हैं खुश.
लेकिन दुसरे ही दिन, बाधा दी जाती है अनाजों और डीजल के दम.
क्योंकि उन्हीं के हाथों में होती है, देश की लगाम.
वे जिसे भी चाहे छण में, बना दे मालामाल.
उनके नजर में तो है सारा भारत ही गरीबों की जंजाल.
पुरे देश की जनताओं को होनी होगी सजग.
फिर देखिये पूर्ण भारत करेगा जग-मग-जग.
अब जनताओं के नाक से ऊपर आ गई है.
उन नेताओं के जालसाजी (धोकेबजी) की पानी.
अब मत बन्ने की कोशिश कीजिये ,
पूरे देश भारत की नानी.
गरीबों के चलते तो होती है, नेताओं की कमाई.
गरीबों को तो, सिर्फ दस देना है, नब्बे तो अपनी पॉकेट में भर लेना है.
सौ में नब्बे बदनाम, फिर भी मेरा देश महान.
जनता तो उनकी नजर में, सिर्फ अल्युमिनियम की ek कटोरी है.