जहरीला बनी मिड डे मील:
बिहार के सारण जिले में जहरीला मिड डे मील खाने से बच्चोंु की मौत सिर्फ दुःखद नही शर्मनाक है। जिन अधिकारियों और षिक्षकों को ग्रामीण बच्चों को पढ़ाने या उन्हें मिड डे मील देने जिम्मेदारी सौपी जाती है, वे यह मानकर चलते है कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले और मिड डे मील के खाने वाले बच्चें समाज के अषक्त वर्गो के है इसलिए उपेक्षा के पात्रा है। काफी सारे बच्चे स्कूल आने के कारण भी मिड डे मील होता है। इसका अर्थ यह है कि भरपेट भोजन भी उनके लिए बड़ी नियमतह ै। और सरकारी अमला भी यह मानता है कि इन बच्चों को जैसा भी भोजन मिल जाए वह इनके लिए काफी है। उस भोजन की गुणतत्ता उन बच्चों के लिए कोई मायने नहीं रखती है। इसी प्रवृति के चलते इस कार्यक्रम में भी भारी भ्रष्टाचार की षिकायते मिलती है, हमारे देष में अच्छी मंषा भी होती है, लेकिन उन पर अमल इसलिए नहीं होता है क्योंकि जिस सरकारी तंत्रा को उन्हें लागू करना है वह हर योजना को सिर्फ नौकरी का हिस्सा मानता है वह सिर्फ अपना कार्यकाल पुरा करना होता है उस तंत्रा को जवाबदेह बनाने में कोई भी कोषिष नहीं करती है।