अंक- १०७८ Page-५

वेतन के नाम पत्रा मात्रा तीन हजार कार्य करने करते इतना ही थक जाता हूँ कि हिसाब मिलाकर देना भी दुर्लभ सा लगने लगता है। उसके बाद स्नान ध्यान, भोजन-पानी करना तब थोड़ी सी मोहल्त निकालना पड़ता है, आराम के लिए शरीर ही है, कोई मषीन तो नहीं उसे एकत्रित कर अपने संगठन एवं सदर संवाददाता उर्फ लेखक महोदय के पास समय पर देना ताकि समय पर हस्तलिखित (समाचार पत्रा) दीन-दलित निकल सके। मुझे नियुक्ति पत्रा स्वõ गौरी शंकर रजक जी (पूर्व संपादक) द्वारा मिला था, लेकिन स्वõ गौरी शंकर रजक जी दिनांक 23.11.2012 को स्वर्ग सिधार गए हमलोगों का मन टूट गया, अब ओरूचि समाचार एकत्रित करने में म नही नहीं लगता बराबर ही स्वõ रजक जी की ख्याल आती है, मन रो सा पड़ता है एवं अब समय भी नहीं जुटा पाता हूँ समाचार एकत्रित के लिए क्यों कि सुबह उठ ही नहीं पाता कारण धक लगा रहता है पम्प की ड्यूटी निभाने सुबह 04.45 में ही आना पड़ता है जो रात 11 बजे ड्यूटी करते हैं उन्हें छोड़ना भी जड़ता है और तब मैं सुबह का चार्ज उससे बड़ी सावधानी से लेता हूँ। इसलिए मैं बबलू रजक जी एवं संगठन एवं सदर संवाददाता रवि शंकर गुप्ता जी को पूर्ण हर्ष एवं खुषी से अपना पत्राकारिता पद से त्याग पत्रा देते हुए सौंप रहा हूँ। इसमें मुझे खुषी है, कि हमारे एक जरा सी गलती से समाचार पत्रा एकत्रित कर देने में देर हो जाने के कारण यह संसार का पहला हस्तलिखित पत्रा (साप्ताहिक) नाम आंदोलन-पत्रा से दीन-दलित पत्रा नाम पर आज भी भ्रष्टाचार एवं आतंकवाद के लिए लड़ने वाला एवं तुरन्त ही हस्तलिखित कर प्रेषित करना रूकने न पाये एवं यह अखबार संसार का एक अनूठा अखबार (साप्ताहिक पत्रा) साबित हो। धन्यवाद।