अंक- १०७५ Page-२

यह राष्ट्रपति महोदया की अवमानना मतलब स्वõ गौरी षंकर रजक जी के सम्मान पर कुठाराघात करने के समान नहीं तो और क्या कहा जायगा। उनकी पत्नी बेचारी बिल्कुल ही हर तरह से असहाय हो चुकी हैं, और अपने चार पुत्रों एवं उनके बच्चों की दयनीय हालत देखकर तो वह और भी हतोव्साहत होती जा रही हैं एवं अपनी जिंदगी की गाड़ी को घसीट रही हैं। क्या पाप किए थे स्वõ गौरी षंकर रजक जी जो आज भी प्रषासन उनके परिवार वालों के तरफ से पूर्ण रूप् से मुँह मोड़ती हुई नजर आ रही है। क्या रजक जी जनता के प्रति पूर्ण रूप से भ्रष्टाचार और आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाते रहे यही उनका पाप था क्या? यह मैं प्रषासन से संवैधानिक अधिकार के तहत पूछना चाह रहा हूँ, कि क्यूँ नहीं अभी तक उनके मुआवजे की राषि का भुगतान राष्ट्रपति महोदया के आदेष देने के बाद भी क्यूँ नहीं उनके परिवार वालों को दिया जा रहा है। क्या है, इसका राज मैं प्रषासन के आला अधिकारी उपायुक्त महोदय से नम्र निवेदन करना चाहता हूँ, कि जल्द से जल्द रजक जी के मुआवजे की राषि का सारा भुगतान उनके परिवारवालों को दिया जाय ताकि रजक जी की पत्नी को भी षोक में ही उनकी प्राण-पखेरू उड़ न जाए।