अंक- १०७४ Page-२

ऐसी अवस्था में जनता को कितना अपमान जनक लगता होगा, क्या सरकार यह सब सोचती है, यदि यह गलती राज्य या कोई भी सरकार करे, गलती तो गलती है, ही, लेकिन वक्त से पहले यदि इन सभी गलतियों को सुधार दिया जाय तो कम से कम जनता को मतदान देने के लाईन में खड़े होकर यदि बिना मत दिए वापस (कानूनन) आना पड़े तो जनता क्यूँ नहीं मतदान का बहिष्कार करने की सोचेगी। यदि ऐसी-ऐसी कई तरह की गलतियाँ मतदान कार्ड (भोटर कार्ड) में है, उसे मतदान (राज्य सरकार के चुनाव से पहले) होने के पूर्व जल्द से जल्द सुधारा जाय, ताकि मतदान स्थान पर से बिना मत प्रयोग (मतदान बिना दिए) किए मायूस होकर राज्य सरकार को या केन्द्र सरकार को कोसते हुए न आना पड़े एवं स्वच्छ एवं सुन्दर ढ़ंग से मतदान हो। जब भोटर कार्ड बनाते वक्त नाम, ग्राम, षहर एवं वार्ड और पता सही ढ़ंग से मतदाता से पूछ-पूछ कर लिखा जाता है, और मतदाता फोटो खिचवाकर संतुष्ट होकर आते हैं, तो फिर भोटर कार्ड जब निर्गत होता है, उसमें कैसे होती है, गलतियाँ। यह सब सोचने वाली बात है, सत्ता-षासक को (जिस सरकार भी मतदान हो) न कि जनता को। यह तो वही बात हुई कि निमंत्राण कार्ड पर बुलाया गया, और बिना खिलाए उसे वापस कर दिया गया। क्यों कि जनता को जब कानूनन भोटर कार्ड में ऐसी तरह की गलती होने पर बुथ पर बिराजमान पार्टी के कार्यकर्तागण जब बिना दिए जिस भी जनता को लौटा देती होगी, तभी उस जनता पर क्या बितती होगी, इसके बारे में कुर्सी में आने वाले (मतदान द्वारा) सरकार को जल्द से जल्द ही सोचनी होगी और तो और ऐसी प्रत्येक भोटर कार्ड को जल्द से जल्द सुधारा जाय, ताकि मतदान के प्रति जनता के दिलों में खुषी से मत प्रयोग करने का जज्बा रहे, और फिर से (सुधार के बाद) ऐसी गलतियों को दुबारा से न दोहराई जास, ताकि किसी भी जनता को बुथ स्थान से बिना मत प्रयोग किए लज्जीत होकर वापस न आना पड़े।