अंक- १०७४ Page-७

फिर जब ड्राईवर ने इलाका बेगुसराय और वहाँ की जनताओं के क्रोधित भावनाओं को देखते हुए एवं उस अवस्था में उनलोगों की कचुमर मार खाने की याद आते ही ड्राईवर (बस के) ने अपने आपको जान बचाने हेतु (ख्याल से) गाड़ी को भँगाना एवं किसी भी तरह उन हज यात्रियों के जान की हिफाजत करने के ख्याल से गाड़ी (बस) की स्पीड को बढ़ाते हुए बस को वहाँ के अनुचित स्थिति पर निकालना चाहे, लेकिन हज यात्रियों के प्रभाव (अजमेर षरीफ जाने वाले भी दाता के भक्त यानि भक्त ही भगवान होता है) हो या कुदरत का करिष्मा या दंड, उस बस में मोटर साइकिल के रगड़ खाने से उसकी टंकी फट गई और इस भयानक गर्मी के चलते तुरंत ही उस बस में आग लग गई, वैसी अवस्था में उस ड्राईवर महोदय की स्थिति कैसी हो सकती है, यह बहुत ही भयानक स्थिति जैसी बात है, यह तो कोई भी जान (ज्ञान के आधार पर) सकता है। इस पर सभी बस पर सवार यात्रियों ने अपनी-अपनी जान बचाने की होड़ सी लग जाती है।