अंक- १०७३ Page-२

यह प्रषासन के चैकना एवं मुस्तैदी का नतीजा है। यदि पुलिस इसी मुस्तैदी एवं बिना किसी दिमागी टेन्सन से स्वेच्छा एवं सही गाईड प्लान के मुताबिक कार्य करेगी तो एक नहीं भारत के इसी टाइप या इससे भी कुख्यात जीतन हो श्यामलाल सभी को होना है, गिरफ्तार, चाहे नक्सली पुलिस को जितना चकमा दे दे। जीतन ने गुनाह करता गया और बचने के लिए इतने नाम रख लिए कि आज गिरफ्तार होने के बाद अपना सभी नाम भूल गया होगा, पुलिस के सामने सभी नक्सली बौने के सामान होते हैं, कारण पुलिस के डंडे के सामने नक्सली हो या कोई भी कुख्यात से कुख्यात अपराधी हो या हो आतंकबाद के दादा ही क्यों न हो जब डंडे पड़ने लगे ता नानी याद पुरानी कहावत है, यहाँ तक कि डंडे पड़ने के बाद उनकी बाप की षादी की तारिक तक या हो आती है। पुलिस के डंडे में बहुत ताकत होती है। यह नक्षली को याद रखना है।

भारत के राष्ट्रपति के रूप में डाॅõ राजेन्द्र प्रसाद जी का ”पुनर-जन्म“

दीन दलित ब्यूरों (रवि षंकर गुप्ता ”डायनामाईट“):- माननीय राष्ट्रपति महोदय, श्री प्रणव मुखर्जी जी का पहला कदम झारखण्ड के उप-राजधानी दुमका में पड़ा और दुमका के सारे बंद पड़े भाग्य के दरवाजे खुल गए। क्योंकि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी जी अपने मधुर वचनों से जनताओं से कहा कि जिसकी जमीन के अन्दर से कोयला है, पहला हक उसका है।