अंक- १०७३ Page-३

राज्य की तरक्की के लिए बिजली की उत्पादन क्षमता बढ़ानें की अति आवष्यकता है, जब राज्य में बिजली उत्पादन क्षमता पूर्ण होंगी तभी झारखण्ड राज्य के साथ-साथ पूरे देष की तरक्की होगी। बिजली की उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए कोयले की जरूरत है, जो जरूरतें झारखण्ड के जमीन से निकले कोयले से ही पूत्र्ति हो सकती है। जब झारखण्ड की जमीन के अंदर से कोयला निकलता है, तो झारखण्ड की जनता तकलीफ में क्यूँ रहेगी। झारखण्ड से निकलने वाले कोयले से अपने राज्य में ही बिजली की उत्पादन क्षमता क्यूँ न बढ़ाया जाय। झारखण्डी राज्य के गोड्डा के बारिसटाँड़ में जो राष्ट्रपति महोदय द्वारा 1320 मेगावाट के प्रस्तावित पावर प्लांट का भूमि पूजन एवं षिलान्यास हुआ, वह पूरे झारखण्ड राज्य की तरक्की की पहली सीढ़ी का षिलान्यास साबित होगी। राष्ट्रपति महोदय ने झारखण्ड राज्य की उप-राजधानी दुमका में अपने कदम रखते ही पूरे झारखण्ड राज्य के प्रति इतनी बड़ी निर्णय लेकर झारखण्ड राज्य की सारी जनताओं के दिलों में एक खास जगह बना लिए है। राष्ट्रपति हो तो प्रणव मुखर्जी जैसा। राष्ट्रपति महोदय के इस अहम निर्णय से भारत के प्रथम राष्ट्रपति डाõ राजेन्द्र प्रसाद जी के रूप में श्री प्रणव मुखर्जी के राष्ट्रपति के रूप में देखकर उनके (डाõ राजेन्द्र प्रसाद जी) दूसरे जन्म की जैसी लग रही है। प्रणव मुखर्जी जी के द्वारा झारखण्ड की तरक्की हेतु झारखण्ड की जमीन से निकलने वाले कोयलेे पर पहला हक झारखण्ड को दिलवाना ही झारखण्ड राज्य की सारी जनता के लिए करोड़ो, खरबों की लोटरी उठने जैसी बात है। झारखण्ड की तरक्की तभी हो सकती है, जब यहाँ पूर्ण रूप बिजली उत्पादन क्षमता होगी।यहाँ की बिजली उत्पादन क्षमता तभी हो सकती है, जब ठीक तरह से अपने राज्य (झारखण्ड) को कोयले की आपूत्र्ति हो, जो कोयला हमारे राज्य (झारखण्ड) में काफी मात्रा में अपनी जमीन के अन्दर मौजूद रहने के बावजूद भी नहीं मिलता है। जब झारखण्ड की जमीन से निकलने वाले कोयले से राज्यों की तरक्की हो रही है, और आज तक किसी ने झारखण्ड राज्य की ओर एक नजर देख लेने तक की जरूरत नहीं समझी आज यह हक झारखण्ड के पहले हक के रूप में हकदार बनाना ही एक स्वपन (सपनों) जैसा लग रहा है। लेकिन यह बिल्कुल ही सत्य एवं हकीकत है, कि अब पूरे झारखण्ड राज्य की काया ही पलटने वाली है।